पर्यावरण यानी एक आवरण जो पृथ्वी पर है जो आकाश वायु अग्नि जल से मिलकर बना है वहीं पर्यावरण है जो जीवन के लिए बहुत आवश्यक अगर पर्यावरण नहीं है तो जीवन नहीं है इसको बनाने वाली प्रकृति है ब्रह्मांड की शक्तियां और ब्रह्मांड की उन शक्तियों को जो सर्वत्र पाई समाज के लिए अति आवश्यक है

इंसान का ब्रह्मांड से सदैव रिश्ता रहा है मनुष्य ने हमेशा यह खोज है की कौन सी शक्ति है जो हम सबको चल रही है और उसने पाया एक जीवन दैनिक शक्ति है जो ब्रह्मांड पर चलती है हमें भी चलती है सर्वत्र व्याप्त है व्यापक है और वह शक्ति हमें हर दुख से दूर रखती है हमारे संस्कृत में शब्द दिया गया हरि जो सारे दुखों को दूर करता है और कहा गया हरि व्यापक सर्वत्र समाना इन्हीं को राम कहा गया अर्थात हर तत्व में देवत्व है और यह देवत्व श्री राम है यही पर्यावरण के रक्षक हैं मनुष्य के जीवन में दुखों को दूर करते हैं मर्यादा को लाते हैं पृथ्वी में अगर मर्यादा से मनुष्य कामना करें तो पृथ्वी भूकंप पर ज्वालामुखी देती है मर्यादा से चले तो फल और अनाज देती है जल देती है यही जीवन का सार है पर्यावरण और प्रभु श्री राम का संबंध इन सबसे है
लोग कहते हैं राम का मतलब सिर्फ हिंदू भारतीय समझते हैं परंतु राम तो विश्व की हर सभ्यता हर धर्म ग्रंथ में पाए जाने वाले अमर तत्व हैं जिनके अर्थ है सबके भीतर व्याप्त जो चेतना है वही राम है यही वजह है गुरु ग्रंथ साहिब में कुरान में बाइबल में यहूदी धर्म में पारसी धर्म में मुस्लिम धर्म में सब जगह राम पाए जाते हैं जब राम पूरी सृष्टि के रक्षक है तो पर्यावरण के रक्षक तो हैं ही उसके बिना कौन है

विज्ञान ने कहा है ब्रह्मांड से जीवनदाई करने और प्रकाश का लगातार भ्रमण होता रहता है जो जीवन को चलते हैं और इसको उन्होंने अग्नि प्रकाश कुछ भी का राम शब्द में र शब्द अग्नि का स्वरूप है और यही जीवन का सार है पर्यावरण रक्षण प्रभु श्री राम के समस्त कार्यों का रूप है जो पृथ्वी और मनुष्य दोनों को बताता है कि यदि हम अपना अस्तित्व चाहते हैं तो हमें सभी का चित्र देखना होगा कोई भी मनुष्य जाति से छोटे-बड़े नहीं है कोई जीव जंतु ऐसा नहीं है कि हमारे काम का नहीं है सभी काम के हैं एक दूसरे से जुड़े हुए हैं वही रामचरितमानस में कहा गया है जाति-वगैरा बातें किसी काम की नहीं है जो हरि को जानता है वही मनुष्य है वहीं पर्यावरण से जुड़ा है

आज पृथ्वी के शरीर से दूध है वन वनस्पति जंगल काट दिए गए हैं पूरे संसार में जितने भी जीव जंतु हैं सब की दुख भरी कहानी है अगर इंसान के शरीर से चमड़ी निकल दी जाए तो क्या वह जीवित रह पाएगा इसी तरह धरती है पर्यावरण तार तार हुआ है क्योंकि उसके समस्त तत्व दूषित हुए हैं मनुष्य की प्रकृति और ईश्वर में आस्था समाप्त हुई है उसका दंड उसको मिले अभी भी वक्त है अभी भी वक्त है आदमी समझ जाए पर्यावरण है तो इंसानी जीवन है

प्रभु श्री राम ने 14 वर्ष का जो वनवास जिया वनवास मिला उसका वर्णन किया और वह वनवास उन्होंने

वनों में जिया और वहीं से संसार को ज्ञान मिला वहीं से ब्रह्मांड और मनुष्य को वाणी मिली वहीं से नौ प्रकार भक्ति मिली वहीं से संकल्प हुआ इंसान को आगे बढ़ने का मार्ग मिलाओ और पर्यावरण को एक नया आकाश मिला है ।

इसलिए पर्यावरण संरक्षण में प्रभु श्री राम का न केवल महत्व है बल्कि अगर राम नहीं है तो पर्यावरण भी नहीं है यह पृथ्वी भी नहीं यह ब्रह्मांड में नहीं है फिर वही भावनाएं अपने लिए सोचो अपने आप को देखो क्या हम अपने पर्यावरण को मजबूत कर रहे हैं अपने आने वाले भविष्य को सुधार रहे हैं । तभी जीवन चलता रहेगा ।